मिल जाती है सारी खुशियाँ जिसमे
अनमोल सा तुम वो लम्हा हो
मीत हो मेरे या सखा हो
कह लेती हू व्यथा अपने दिल की
माँ के मन सा कोमल जज़्बा हो
कोई चाह नहीं तुमसे कुछ पाने की
अनजाना अनसुना सा जैसे कोई एहसास हो तुम
बंध गए है एक डोर में मन तेरे मेरे
जैसे प्रेम पगा हो
जानना चाहती हू.... तुम मेरे क्या हो??
कोमल अंतर्मन की कोमल भावना...बहतरीन एवं सरल शब्दों का चयन
ReplyDelete